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| emotional love story, story about love in hindi |
हा, प्यार दोस्ती हे. प्यार किसीभी इन्सान को कामियाब बना सकता हे और चाहे तो बरबाद भी कर सकता हे.
लेकिन क्या प्यार सबकुछ होता हे? आप ये love story पढ़ कर हमे जरूर comment मे बताये की आपके हिसाब से क्या प्यार सब कुछ होता हे?
Story about love in hindi 💟
"टाके सील देते हे घाव, टाके सील देते हे फटी कमीज़ भी
और टाके अगर हो प्यार के, ये सील देते हे ज़ीस्त(ज़िन्दगी) भी"
हम ज़िन्दगी मे एक सफर पे हे, लेकिन कुछ लोग इसे ऐसे ही काट देते हे और कुछ लोग इसे जीते हे. बस इसी ज़िन्दगी को जीने और जानने के लिए निशान्त निकल पड़ा था अपने घर से अकेला.
हर रोज़ किसी नयी जगह पर जाना वहा के लोगो से मिलना और जिंदगी के नए पहलू को जानना निशान्त की आदत सी बन गई थी. हर रोज कई लोगो को मिलने के बावजूद भी निशान्त अकेला सा फील करता था. ज़िन्दगी की असली ख़ुशी उसे नहीं मिल रही थी.
निशान्त जब घर से निकल रहा था तब उसके पापा ने उसे जाने से रोका था लेकिन निशान्त ने तब कहा था की "everything is happens for reason" और वही हुआ. निशान्त की ज़िन्दगी पे प्यार का पैगाम दरवाजा खत खता ने ही वाला था.
निशान्त अकेला महसूस कर रहा था इस लिए वो समुन्दर के किनारे जा कर बैठ गया. समुन्दर की लहोरो की आवाज़ के साथ कुछ बच्चो के खेलने की आवाज भी आ रही थी. निशान्त की नज़र उन बच्चो के खेलने पर पड़ी लेकिन उन छोटे-छोटे बच्चो के साथ मे एक लड़की भी खेल रही थी. सागर की लहरों जैसी उसकी आँखे जिसके किनारे लगा काजल उसमे डूबने की आशा लिए बैठा हो. simple सफ़ेद ड्रेस पहनी उस लड़की को देख कर ऐसा लग रहा था की उसके पीछे एक नादान बच्चा छुपा हे. निशान्त चलते चलते उसके तरफ जाने लगा तभी थोड़ी दूरी पर खेल रही एक बच्ची पानी की लहरों के साथ समुन्दर मे बह जाती हे. वो लड़की उस बच्ची को बचाने के लिए दौड़ कर समुन्दर मे छलांग लगाती हे, लेकिन उसे तैरना नहीं आता था. फिर भी वो अपने हाथ-पैर हिलाते हुए उस बच्ची को किनारे की तरफ लाने की कोशिश करती हे, तभी निशान्त समुन्दर मे कूद कर उस बच्ची और लड़की को बहार ले कर आता हे.
निशान्त जब उस लड़की से पूछता ही की आपको तैरना नहीं आता तो आप क्यों समुन्दर में उस बच्ची को बचाने गई ? तो उस लड़की ने कहा की मै इन सभी बच्चो से बहोत प्यार करती हु और इन बच्चो के लिए मेरी जान भी हाज़िर हे. निशान्त गहरी सोच मे पड गया, क्या प्यार मे इतनी ताकत होती हे. तभी उस लड़की ने चपटी बजा कर कहा इतना ज्यादा मत सोचिये. आप हमारे साथ चलिए, आपने हम दोनों को बचाया हे इस लिए हम आपको कुछ surprise देना चाहते हे.
वो लड़की और सभी बच्चे निशान्त को एक अनाथ आश्रम मे ले कर जाते हे, निशान्त ने पूछा हम यहाँ क्यों आये हे? तो उस लड़की ने कहा ये सरे बच्चे इसी आश्रम मे रहते हे और में इन सबका ख्याल रखती हु. निशान्त को ज़िन्दगी का एक और पहलू जानने को मिला.
अनाथ आश्रम के दरवाजे के अंदर कदम रखते ही निशान्त का फूलो से स्वागत किया गया और सभी लोग तालिया बजा कर और शोर मचा कर निशान्त का स्वागत कर रहे थे. बाद मे उस लड़की ने निशान्त को फूलो का गुलदस्ता दिया, उसमे एक कार्ड भी रखा था जिसमे thank you लिखा था. निशान्त ये देख कर बहोत खुश हुआ. और निशान्त ने सभी का तहे दिल से शुक्रिया अदा किया. खास कर के उस लड़की का. निशान्त ने उस लड़की का नाम पूछा तो उस लड़की ने कहा मेरा नाम खुशी हे.
"खुशी", शायद ये वही ख़ुशी हे जिसकी निशान्त को तलाश थी. जो निशान्त की ज़िन्दगी का अकेलापन दूर करेगी.
निशान्त हर रोज़ उस आश्रम मे आने लगा, खास कर के खुशी से मिलने. वो दोनों बेथ कर ढेर सारी बाते करते और अपने-अपने किस्से एक दुसरो को बताते. रोज़ की मुलाकातों की वजह से अब उन दोनों ने एक दूसरे का मोबाइल नंबर भी ले लिया था. दीन मे आश्रम में बाटे करते-करते पुरे आश्रम मे घूमते तो कभी-कभी बहार कॉफ़ी पिने भी जाते और रात को मोबाइल मे ढेर सारी chatting. निशान्त और खुशी अब बहोत अच्छे दोस्त बन गए थे. निशान्त तो भूल ही गया था की वो घर से किस मक़सद से निकला था.
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"वो कहते हे ना की हम अपनी ज़िन्दगी मे लाखो लोगो को देखते हे,
हज़ारो लोगो से मिलते हे लेकिन कोई हमारी ज़िन्दगी की किताब का वो पन्ना बन जाता हे
जिसे पलटने का कभी मन नहीं करता"
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एक बार आश्रम मे एक नोटिस आती हे जिसे पढ़ कर खुशी चिन्ता मे पड जाती हे. उस नोटिस मे लिखा था की ये आश्रम हटाना होगा क्योकि यहाँ पर एक मॉल बनने वाला हे. अगर तुमने मना किया तो इसका अंजाम तम्हे भुगतना पड़ेगा. खुशी बच्चो को ले कर बहोत परेशान थी.उसने ये बात निशान्त को बताई. निशान्त ने उसे कहा चिन्ता मत करो ये आश्रम नहीं हटेगा मे तुम्हारे साथ हु.
जिसने खुशी को नोटिस भेजी थी उस Businessman को उसी जगह पे मॉल बनाना था. थोड़े दिनों बाद उस Businessman ने आश्रम मे आ कर धमकिया भी दी. निशान्त को इस बात का पता पता चला तो वो खुशी को complain करने के लिए पुलिस स्टेशन ले गया और उस Businessman पर केस कर दिया. निशान्त से खुशी का दुःख देखा नहीं जा रहा था. वो खुशी को ख़ुश करने के लिए कूच भी करने को तैयार था. खुशी भी निशान्त का साथ पा कर ख़ुश थी. वो दोनों अब धीरे-धीरे प्यार का अहेसास कर रहे थे, लेकिन दोनों के लिए कहना थोड़ा मुश्किल था.
निशान्त को थोड़े दिनों बाद घर से फ़ोन आता हे. उसके पापा ने उसे बोलै की तुम घर कब आ रहे हो? निशान्त ने कहा की बस थोड़े दिन ओर पापा, में जल्द ही घर आ जाऊंगा. निशान्त को खुशी को छोड़ कर जाने का बिलकुल मन नहीं कर रहा था. वो रात-दिन बस खुशी के बारे में ही सोचता था. निशान्त को खुशी को अपने प्यार का इज़हार करने के कई ख्याल आए. लेकिन वो हिम्मत नहीं जूता प् रहा था. लेकिन उसे घर वापस भी तो जाना था और वो खुशी को अपनी feelings बिना बताये नहीं जाना चाहता था.
निशान्त ने अपने घर जाने के अगले दिन खुशी को अपने दिल की बात बताने की सोची. खुशी को जराभी अंदाज़ा नहीं था की निशान्त वापस अपने घर जाने वाला हे. निशान्त घर जाने के अगले दिन खुशी से मिलने गया और कहा की मुझे अपने घर से निकले कई दिन हो चुके हे, अब मेरे घर वापस जाने का वक्त आ गया हे. लेकिन घर जाने से पहले मी तुम्हे अपने दिल की बात बताना चाहता हु. ख़ुशी की धड़कन ये बात सुन कर तेज़ हो गई, वो कुछ बोलना नहीं चाहती थी बस निशान्त की आखो मे देख कर उसे सुनना चाहती थी. निशान्त ने कहा हमें मिले कई दिन हो गए और हमारी पहली मुलाक़ात भी कैसा इत्तफाक था, दो अनजाने मुसाफिर से अच्छे दोस्त बने और तुम्हे मिल कर तो में भूल ही गया था की में घर से किस मक़सद से निकला था तुम्हारी हर छोटी-बड़ी मुश्किल को अपनी मुश्किल समाज कर उसे दूर करके तुम्हे ख़ुश रखना बस यही मेरी ज़िन्दगी का मक़सद बन चूका हे. खुशी में तुमसे प्यार करने लगा हु, रत-दिन बस तुम्हे ही सोचता हु. पता नहीं तुम मेरे बारे मे क्या सोचती होगी लेकिन "will you be my happy ever after?".... खुशी एकदम surprise हो गयी थी. उसकी आँखो मेसे ख़ुशी के आँसू निकल रहे थे वो कुछ बोली नहीं बस निशान्त को अपनी बाहो मे भर लिया. निशान्त समज गया की खुशी की हा हे. निशान्त ने भी उसे अपनी बाहो मे भर लिया.
निशान्त ने खुशी से कहा की में कल सुबह घर जाने के लिए निकल रहा हु और घर जाकर में तुम्हारे बारे मे अपने परिवार को जरूर बताऊंगा, तुमभी अपने घर वालो को हमारी शादी की बात करना और जल्द ही हम दोनों शादी कर लेंगे. निशान्त ख़ुशी-ख़ुशी अपने घर जाने के लिए निकल जाता हे लेकिन खुशी को आश्रम का कुछ काम होने की वजह से वो शाम के वक़्त अपने घर जाने को आश्रम से निकलती हे. आश्रम की जगह पर जो Businessman मॉल बनाने का सपना देख रहा था उसे इस बात का पता चल जाता हे और वो खुशी का accident करवाने का प्लान करता हे. खुशी अपनी गाड़ी मे आश्रम से काफी दूर निकल जाती हे तभी एक ट्रक फुल स्पीड मे आ कर खुशी की गाड़ी को जोर से तक़्क़र मारता हे. खुशी की गाड़ी दो-तीन पलटी खा कर रोड से काफी दूर जा कर गिरती हे. गाड़ी के अंदर बैठी खुशी के सर से काफी खुन बाह जाता हे. सड़क पर दूसरी गाड़ियों वालो ने खुशी की पलटी गाड़ी को देखा और खुशी को बहार निकाल कर उसे तुरंत हॉस्पिटल ले जाते हे. लेकिन डॉक्टर ने कहा ये मर चुकी हे. खुशी के मोबाइल से उसके घर वालो को और निशान्त को खुशी के बारे मे imform किया गया. निशान्त तुरंत खुशी के पास आने के लिए अपने घर से निकलता हे. हॉस्पिटल मे आ कर निशान्त सफ़ेद कपडे से ढकी खुशी के पास जाता हे और कपडा उठा कर जोरसे चिल्लाता हे khushiii. निशान्त खुशी से लिपट कर चौधार आँसू रोता हे. थोड़ीदेर मे खुशी के घर वाले भी आते हे वो भी अपनी एकलौती बेटी खुशी के लिए बहोत रोते हे. निशान्त ने उन दोनों के प्यार के बारे में उन्हें बताया.
खुशी के मोत के दो दिन बाद अनाथ आश्रम को तोड़ने के लिए वो Businessman अत हे. निशान्त समज गया था की हो ना हो खुशी के accident के पीछे इसी का हाथ हे.निशान्त गुस्से मे उस आदमी के पास जाता हे और पूछता हे की खुशी को तुमने ही मरवाया हे ना? वो Businessman हस्ता हुए कहता हे, हा मेने ही उसे मरवाया हे लेकिन तू कुछ नहीं कर सकता और नाही पुलिस मेरा कुछ बिगाड़ सकती हे. मेरे पास money power हे. निशान्त गुस्से से एकदम भर गया और उसका गला अपने दोनों हाथो से पकड़ लिया उकसे आदमियों ने उसे रोकने की कोशिश की लेकिन निशान्त ने उसका गला नहीं छोड़ा. निशान्त ने उसे जोर से जमींन पर पटका और बादसा पथ्हर उठा कर उसके सर पर मर दिया. वो Businessman वही के वही मर जाता हे. थोड़ी देर मे पुलिस वह अति हे और निशान्त को मर्डर केस मे पुलिस स्टेशन ले जाती हे. निशान्त को ६ साल की सजा होती हे.
निशान्त को ६ साल तक जेल मे रहा लेकिन फिर भी खुशी अभीभी उसके दिल और दिमाग मे से नहीं निकली थी. निशान्त एक ज़िन्दा लाश की तरह हो गया था. खुशी के जाने से निशान्त के जीवन की सारी ख़ुशी चली गई थी. हालात इतने बिगड़ गए थे की निशान्त को सिगरेट और दारू का सहारा लेना पड़ा. निशान्त नाही किसीसे मिलता था नाही जेल से छूटने के बाद अपने घर गया था. बस आवारा दीवाना इधर-उधर भटकता रहता.
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खुशी की मोत को ८ साल बीत गए थे इन ८ सालो मे एक भी दिन ऐसा नहीं था की निशान्त ने खुशी को याद नहीं किया हो. एकदिन फिर वो भटकते भटकते समुन्दर के किनारे चला जाता हे वहा पे खेल रहे बच्चो मे उसे अपनी खुशी दिखाई देती हे. उसे वो दिन याद आ गया जब वो खुशी से पहली बार मिला था और खुशी की वो कही हुई बात भी याद आयी की ये बच्चे मेरी जान हे में इनसे बहोत प्यार करती हु. तब निशान्त को लगा की अब उस अनाथ आश्रम के बच्चो का कोण ध्यान रख रहा होगा? वो बच्चे कैसे होंगे? निशान्त तुरंत ही उस अनाथ आश्रम जाता हे. वहा पर वो देखता हे की बच्चे काफी बड़े हो गए थे और कई नए बच्चे भी आ गए थे और खुशी की जगह पर कोई ओर आ गया था लेकिन खुशी के जाने के बाद बच्चे काफी मायुससे रहते थे और आश्रम की हालत भी काफी बिगड़ गई थी. निशान्त ने सोचा की भले ही मेरी खुशी इस दुनिया मे ना हो लेकिन में उसे इस आश्रम मे और अपने दिल मे हंमेशा ज़िन्दा रखूँगा और निशान्त इस आश्रम को संभालने लगता हे. आश्रम मे खुशी की बड़ी फ़ोटो लगा कर निशान्त और सभी बच्चे रोज खुशी को याद करते.
आज भी निशान्त बच्चो के साथ खेलने समुन्दर के किनारे जाता हे.
"इश्क सच्चा वही जिसको मिलती नहीं मंज़िले" -हमारी अधूरी कहानी
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